मानव चाहे अपने को कितना ही प्रगतिवादी अथवा शिक्षित माने, उसको अब तक सह-अस्तित्व का महत्त्व समझ नहीं आया है. प्रकृति एवं जीवों पर हावी होने की महत्वाकांक्षा उसे अपने ही विनाश की ओर धकेल रही है.
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मानव चाहे अपने को कितना ही प्रगतिवादी अथवा शिक्षित माने, उसको अब तक सह-अस्तित्व का महत्त्व समझ नहीं आया है. प्रकृति एवं जीवों पर हावी होने की महत्वाकांक्षा उसे अपने ही विनाश की ओर धकेल रही है.