नमस्कार मित्रों!
आज फेसबुक पर कुछ नारिवादियो की पोस्ट देखी। उनकी नज़र में पुरुष एक जानवर है जो नारियों का शोषण करता है और नारियों की हर समस्या का जिम्मेदार है। जिस किसी ने भी उनको समझाया वही ब्लॉक कर दिया गया।
मैं नारी विरोधी नहीं हूँ और न पक्षपाती। अति मुझे हमेशा बुरी लगती है। नारी और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं। पर ये भी सत्य है कि शादी टूटने पर पुरुष भावनात्मक ही नहीं बल्कि आर्थिक रूप सभी टूट जाता है। तकाल के बाद उसी को हर्जाना देना पड़ता है और समाज की नज़र में वही दोषी भी होता है।
इस बारे में आपकी क्या राय है?
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